हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं “हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है। सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता “आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो लेकिन अकेला जीने के https://youtu.be/Lug0ffByUck