तन्हाई की रातों में, दर्द की गहराइयों में खो जाता हूँ, आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो तो दर्द को छुपा कर हँसने की कोशिश करता हूँ। वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे। कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा https://youtu.be/Lug0ffByUck